सीजीएचएस दरों पर चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति भुगतान पर जोर
तो है पर चिकित्सा इन दरों पर दिलाने में सरकार फेल लगती है
सरकारी विभाग हो अथवा इनसे सम्बन्धित सार्वजनिक उपक्रम अर्द्धसरकारी विभाग में काम करने या सेवानिवृत या पारिवारिक पेंशनर्स परिवार दुखी है कि सरकार केन्द्र की हो या प्रदेश या इनके विभाग इलाज दिलाने के नाम पर चिकित्सा प्रतिपूर्ति सीजीएचएस दरों पर हो भुगतान करने में लगे है पर चिकित्सा सुविधा इन दर पर दिलाने में पूरी तरह फेल नजर आ रहे है। इन दरों ने ही प्रधानमंत्री आयुष्मान चिकित्सा योजना का दम निकाला हुआ है।
उ0प्र0 के मुख्यमंत्री का चिकित्सकों के लिए आवाहन की चिकित्सक मरीज के प्रति नजरिया बदल कर चिकित्सक डिग्री लेते समय ली जाने वाली शपथ की मरीज की गोपनीयता और सेहत बचाने के लिए तत्पर रहने को मध्य नजर रखकर मरीज का इलाज अपने को मरीज के स्थान पर रखकर इलाज करेंगे तो कोई कारण नहीं मरीज या उनके तिमारदारों से मिलने वाले आक्रोश का इलाज स्वतः मिल जाये। मुख्यमंत्री द्वारा यह बात लखनऊ में डा0 राममनोहर लोहिया आयुविज्ञान संस्थान में ऐकेडेमिक ब्लाक के उद्घाटन पर चिकित्सकों व संस्थान प्रबन्ध के समक्ष कहते हुए कहा चिकित्सक मारपीट करने वाले मरीज या उनके तीमारदार के आक्रोश करने वाले दर्द को समझे और समस्या का निदान करें। धैर्य संवेदनशीलता के माध्यम से यश प्राप्ति करें न कि धन को मुख्य लक्ष्य बनाकर धोखा, छलकपट अथवा मरीज उसके परिजन की इलाज के प्रति अज्ञानता या उसको आर्थिक विषमता का नाजायज लाभ प्राप्त कर धन व यश की अभिलाषा। इस अवसर पर चिकित्सा मंत्री उ0प्र0 का सेना के जवान जिस प्रकार सेना में भर्ती होकर अपनी जान गंवाने की तमन्ना ही रखता है इसी भांति चिकित्सक मरीज को ही सेना के लक्ष्य देश की भांति मरीज ही सब कुछ है लक्ष्य का आवाहन किया।
निश्चय ही मुख्यमंत्री व प्रदेश के चिकित्सामंत्री की सीख चिकित्सकों के लिए ही नहीं बल्कि सरकारी व निजी क्षेत्र में हर स्तर के अस्पताल, नर्सिंग होम संचालक व उनमे काम करने वाले चिकित्सकों या निजी रूप में चिकित्सा सेवा देने वाले के लिए अमूल्य है। संस्थान के प्रति मरीज का घटता अविश्वास उनका आक्रोश बढ़ाता है इससे संस्थान की ख्याति ही नहीं चिकित्सक भी प्रभावित होता है। यह आवाहन प्रधानमंत्री आयुष्मान चिकित्सा या फिर सरकारी, अर्द्धसरकारी अथवा सार्वजनिक उपक्रम के लोगों के इलाज जिसमें उन्हें भुगतान चिकित्सा खर्च का सीजीएम दर से मिलता है पर इलाज करने वाले इलाज खर्च अपनी दरों पर वसूलते है इसका पालन कर सकेंगे नहीं लगता है। सरकार व उसके विभाग निजी चिकित्सालयों को मान्यता उनके कामगारों या रहे कामगारों के इलाज के लिए अधिकृत करते हुए सीजीएचएस दरों के ही लेने की शर्त मनवाते है, अन्यथा की स्थिति में मान्यता रद्द। अधिकांशतः उल्लंघन पर मान्यता रद्द तो की नहीं जाती बल्कि इलाज कराने वालों को अस्पताल द्वारा लिए गए भुगतान के लिए सीजीएचएस दर अनुसार भुगतान करते है पर अस्पताल से वसूले गये अधिक धन वापस कराने में कोई दायित्व नहीं निवर्हन करते है। इस तरह सरकार व उसके विभाग या उपक्रम अपने कर्मचारी या रहे कर्मचारी को इलाज की सुविधा देने के नाम पर लुटवा-पिटवा रहे है।
उ0प्र0 के सबसे बड़े सावर्जनिक उपक्रम बिजली पावर कारपोरेशन के सेवानिवृत कार्मिक ब्रज भूषण द्वारा आरोपित किया है कि उनके द्वारा गत वर्ष 24 अगस्त 2018 को मेंदान्ता दा मेडिसिटी हास्पिटल (गुडगांव) गुरूग्राम हरियाणा में 4 सित0 तक भर्ती रहकर अपने हृदय के वाल्व बदनवाने व पेसमेकर लगवाने के अस्पताल में भुगतान 28,436249 का बिल विभाग के आदेश 29, 30 दिनांक 4.8.2008 व 2749 दिनांक 20.8.2012 एवं 2010 दिनांक 7.7.2018 के कालम चार के तहद खर्च के 75 प्रतिशत अंकन 23,05,787 रू0 की संस्तुति का बिल उ0प्र0 पा0 का0 लखनऊ कार्या0 अधि0 अभि0 वि0वि0ख0 प्रथम मेरठ के पत्र 1138 दिनांक 5.12.2018 से भिजवाया था। लखनऊ मुख्यालय की आपत्तियों का अन्तिम निस्तारण कर प्रकरण 2020 दिनांक 20.5.2019 के वि0वि0ख0 प्रथम मेरठ के पत्र द्वारा भिजवाया गया। लखनऊ मुख्यालय द्वारा....की 75 प्रतिशत संस्तुति अंकन 23,05,787 के स्थान पर मात्र 3,95,100 की स्वीकृति पत्रांक 992 दिनांक 18.11.2019 द्वारा 28,4636 मूल खर्च के 75 प्रतिशत अंकन 23,05787 के स्थान पर की गई है। इसका मतलब इलाज कराने वाले मरीज द्वारा 19,10687 रू0 की चपत मिलने की बात कही है।
श्रम शिखर से बातचीत में ब्रज भूषण ने बताया कि उन्होंने निदेशक कार्मिक एवं प्रशा0 उ0प्र0 पा0का0 लखनऊ से लिखित आवेदन कर जानकारी मांगी है कि 19,10,6876 की चिकित्सा खर्च में कटौती किस आदेश के तहद की है तथा कटौती का विवरण मांगते हुए प्रकरण पर पुनः विचार का भी आग्रह किया है।
अस्पतालों में सरकारी अस्पतालों की तुलना में इलाज सात गुणा फिर सीजीएचएस दरें क्यों
उ0प्र0 राज्य कर्मचारी महासंघ एवं संयुक्त परिषद तथा बिजली प्रबन्ध से जुड़े विद्युत मजदूर पंचायत उ0प्र0 व इससे सम्बद्ध पेंशन प्रकोष्ठ तथा विद्युत पेंशनर्स परिषद उ0प्र0 ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व चिकित्सा मंत्री का ध्यान राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट जिसमें जुलाई-जून 2017-18 के सर्वेक्षण रिपोर्ट की ओर आकृष्ट किया है जिसमें बताया गया है कि निजी अस्पतालों में सरकारी अस्पतालों की अपेक्षा सात गुणा महंगा इलाज होता है। इस सर्वेक्षण में प्रसव के मामले शामिल नहीं किए गए है।
सरकारी, अर्द्धसरकारी व सावर्जनिक उपक्रम द्वारा अपने कामगारों या पेंशनर्स को चिकित्सा के लिए अधीकृत निजी अस्पतालों में सीजीएचएस 2014 की दरों की अनुमन्यता लागू कर चिकित्सा पर खर्च का भुगतान किया जाना इस रिपोर्ट को देखते हुए नाइंसाफी है। सीजीएचएस दरें 2014 की है जो कि वर्तमान चिकित्सा खर्चों उनमें भी निजी अस्पताल इलाज के अन्र्तगत भारी अन्तर है। इलाज की सुविधा देने के नाम पर लूट-पिटवाया जा रहा है।
चिकित्सा प्रतिपूर्ति दरों को लेकर आन्दोलन की तैयारी
श्रम शिखर लखनऊ स्थित प्रतिनिधि के अनुसार फण्ड की सुरक्षा के आन्दोलन के बाद बिजली कामगार चिकित्सा प्रतिपूर्ति में 2014 की सीजीएचएस दरों से भुगतान की गत अगस्त से लागू व्यवस्था को खत्म न होकर वर्तमान खर्च की दरों से न करने पर आन्दोलन की रूप रेखा बननी मजदूर संघों ने तैयारी शुरू कर दी है। चिकित्सा प्रतिपूर्ति में अन्तर कही शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति की मांग की है। कैशलेस में शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति तो अन्य इलाजों के खर्च में प्रतिशत क्यों।
विद्युत पेंशनर्स परिषद का तो यह भी कहना है कि सीजीएचएस दरों पर भुगतान है तो वह अस्पतालों जिन्हें मान्यता दी जाती है इलाज इस दर से कराने को विभाग बाध्य क्यों नहीं करता है। उल्लंघन पर कार्यवाही न किया जाना किसी भ्रष्टाचार का कारण न बन पाये इस कारण समय से कार्यवाही में विलम्ब नहीं होना चाहिए।
उ0प्र0 सरकार अपने विभागों व सार्वजनिक उपक्रम तथा अर्द्धसरकारी संस्थानों में भारत सरकार के विभागों व उपक्रमों की भांति इलाज खर्च वर्तमान खर्च के आधार पर प्रतिपूर्ति कराये या फिर अपनी सरकारी दरों पर अपने अधिकृत अस्पतालों से इलाज कराने की बाध्यता करें। इलाज की प्रतिपूर्ति के नाम पर लोलीपोप व्यवस्था बंद की जाये। श्रम शिखर सरकार के कारिन्दों या पूर्व में रहे वर्तमान पेंशनर्स की इस मांग से सहमत है।