उ0प्र0 में सहकारी विभाग गांव स्तर पर गोदाम बनाएंगा
किसानों के बीच से आड़त या बिचैलियों की बाधाएं हटाकर उ0प्र0 सरकार ने किसानों को अपनी फसल सीधे कही भी राज्य से बाहर ही क्यों न ही बेचने का अधिकार देकर किसानों की खुशहाली की राह दी है वहां किसानों को अपनी फसल को सही दामों के लिए इन्तजार हेतु गोदाम की व्यवस्था गांव पर कराने की बात भी कही है।
उ0प्र0 का सहकारिता विभाग प्रदेश में साढ़े सात लाख मिट्रिक टन क्षमता के नए गोदामों का निर्माण करेगा। यह जानकारी सहकारिता विभाग ने दी है। बताया गया है 100 से लेकर 500 मिट्रिक टन क्षमता के यह गोदाम होंगे। इन गोदामों में किसान अपनी फसल का उत्पाद रखकर उस पर 90 प्रतिशत तक धनराशि ऋण के रूप में ले सकेगा। अनाज रखने के खर्च का 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार वहन करेगी।
बताया गया है कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित विशेष पैकेज के तहत राज्य में यह नए गोदाम बनेंगे। किसान के लिए अपनी फसल इन गोदामों में रखने की कोई समय सीमा नहीं होगी, वह जब तक चाहे उत्पाद रख सकेंगे।
पर सरकार अपनी खरीद के उत्पादों के लिए भी तो...
सरकारी स्तर पर अनाज, दलहन, चावल आदि बड़ी मात्रा में प्रतिवर्ष खरीदा जाता है। यह उत्पाद बड़ी मात्रा में इन्हें रखे जाने की प्रर्याप्त व्यवस्था न होने से खराब वर्ष या अन्य अस्मायिक स्थितियों के कारण खराब होता है। वरिष्ट समाज सेवी एवं किसान रहे श्री राजेन्द्र कुमार सिंहल व इ0 महेन्द्र सिंह आदि का कहना है कि सरकार किसानों को उनके उत्पादों के लिए गोदामों की व्यवस्था के साथ ही अपने द्वारा खरीदे जाने वाले खाद्यान उत्पादों के लिए भी गोदाम आदि की व्यवस्था करें।
सरकारी खरीद के उत्पाद रेलवे आदि के द्वारा उचित स्थान पर पहंुचाएं जाने की इन्तजार में करोड़ों रूपये का उत्पाद रेलवे स्टेशनों या अन्यत्र खुले में पड़े रहकर बर्बाद हो जाता है। इस खाद्यान जो कि जनता के टैक्स आदि की सरकारी कमाई से खरीदा होता है यूं बर्बाद चन्द लर्जर सरकारी व्यवस्था से बर्बाद होते देखना पीड़ा प्रद है।
ग्रामों में बनने वाले गोदाम ही नहीं कोल्ड स्टोर भी बनें
ग्रामीण महिला मिलन समिति संयोजिका मीना भूषण ने प्रदेश सरकार से अपेक्षा की है कि प्रदेश में खाद्यान या दलहन ही नहीं बल्कि फल-सब्जी व फूलों का उत्पाद भी बड़ी मात्रा में हो रहा है, इन्हें रखने की व्यवस्था प्रर्याप्त है। लाखो टन आलू व अन्य सब्जी फल व फूल प्रति वर्ष खराब होते हैं। इनके सड़कों से बीमारी पनपती है। इन सड़े फल, सब्जी को पशुओं को खिलाकर उन्हें बीमार बनाया जाता है। बेहतर हो गांव में गोदाम के साथ कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था जोड़ी जाए।
व्यवस्था में भागीदार किसान-उत्पादक बनें
सहकारिता विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में गांव में गोदामों की व्यवस्था करने के साथ ही उनकी व्यवस्था में उन किसानों व फसल उत्पादकों को भागीदारी बनाया जाय जो उनमें अपना उत्पाद रखते हैं। इस तरह की व्यवस्था कोल्ड स्टोरेज के लिए भी संभव है। इस व्यवस्था से किसान व फसल, सब्जी, फूल, फल उत्पादक को अफसरशाही या सरकारी तंत्र का ग्राॅस न बनकर इन गोदाम या कोल्ड स्टोर्स के संचालन व उनके प्रति लगाव का अनुकरणीय जज्बा होगा। इस व्यवस्था में सहकारी समूह रूप में प्रयास संभव है।
निजी क्षेत्र व पीपी भागीदारी से भी
सहकारी विभाग द्वारा उ0प्र0 के ग्रामों में भण्डारण व्यवस्था करने के साथ ही ग्रामों में निजी क्षेत्र व पीपी भागीदारी में भण्डारण व मिनी कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था बनाये जाने तथा इसे लघु उद्योग में शामिल कर रोजगार की व्यवस्था बढ़ाई जा सकती है। सरकारी व्यवस्था में हो अथवा सहकारी व्यवस्था में वर्तमान सरकार से पूर्व भण्डारण की व्यवस्था हो या चीनी मिल अथवा कताई मिल आदि व्यवस्था रही हो घाटै व लालफीता शाही में आम जनता की अपेक्षा अनुरूप व्यवस्था देने से दूर रही है। इस सहकारी व्यवस्था के साथ निजी क्षेत्र व पीपी माडल को इस व्यवस्था में प्रोत्साहित किया जाय तो निश्चय ही मण्डल व कोल्ड स्टोरेज व्यवस्था बढ़ोतरी संभव है।
बिजली के साथ सोलर व्यवस्था
बिजली के बड़े इंजीनियर रहे अब किसानों से जुड़्र ग्राम बटजेवरा के निवासी विनोद मित्थल ने श्रम शिखर से बातचीत में सरकार के ग्राम स्तर पर भण्डारण व्यवस्था की पहल को सराहनीय बताते हुए अपेक्षा की पहले चरण में हर ब्लाक स्तर पर भण्डार व कोल्ड स्टोरर्स व्यवस्था की सुनिश्चिता की जाये। इसके बाद न्याय पंचायत फिर ग्राम पंचायत। इनका कहना था कि प्रयास के बाद भी बिजली की इस कार्य में समस्या रहती हैं व जल एवं कोयला या पेट्रोल, डीजल से उत्पन्न बिजली महंगी होने से इनमें उत्पाद रख-रखाव महंगा न हो इसके लिए इनमें सोलर बिजली की व्यवस्था होना समय की मांग है। इन गोदाम व कोल्ड स्टोर्स का बीमा व इसमें रखे उत्पादों का बीमा होना अनिवार्य होना चाहिए।
- अमित सिंहल, गाजियाबाद ब्यूरो